दिल शायराना !!! #1

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दिल शायराना … #1

टूटे दिल की दास्ताँ…

आज फिर से किसी ने हाल पूछ लिया…और मेरा जवाब कुछ यूँ था:

कि एक ज़ख़्म अब नासूर हो चुका है…
और नासूर पे फिर से वार दस्तूर हो चुका है…
ना लगाना कोई दावा कोई मलहम अब इस्पे…
इस दिल को दर्द का फितूर हो चुका है…!!!

– चैतन्य भोजवानी

दिल शायराना !!!

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” मैं शायर तो नहीं
मगर ऐ हंसीं
जबसे देखा, मैंने तुझको, मुझको
शायरी, आ गई …. “

आनंद बक्शी की इस धुन को आप सब ने कभी ना कभी जरूर गुनगुनाया होगा…

दिल प्यार और शायरी का बहुत पहले से ही ना जाने का अजीब सा नाता रहा है… प्यार में भी इंसान शायर हो जाता है और टूटे दिल से भी शायरी निकलती है….

दिल शायराना की इस शृंखला में आपके सामने कुछ एसी ही दिल के किसी कोने से निकलने वाली शायरी प्रस्तुत करूँगा….

अगर आप भी शायरी लिखते हैं और अपने दिल की बात किसी तक पहुँचाना चाहते हैं तो मुझे जरूर भेजें….में आपकी बात जरूर व्यक्त करने की कोशिश करूँगा…. 🙂

–  Chaitanya Bhojwani

 

कुछ अनकही यादें !!

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इस ज़िन्दगी में कुछ भी स्थायी नहीं है… हर कदम हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है…. और हमें भी न चाहते हुए भी उस बदलाव के साथ बदलना पड़ता है… कई बार हमें अपने दिल के बोहोत करीबी चीजों को छोड़ना पड़ता…. अपना स्कूल… अपना घर…. पर सबसे अहम अपने दोस्त…. और साथ रह जाती हैं हमारे तो बस कुछ यादें पुरानी जो किसी को बताई नहीं जा सकती…. बस कहीं अंदर ही अंदर दिल के किसी कोने में अपना घर बसा लेती हैं….

कुछ अनकही यादें !!

यादें कुछ अनकही कुछ अनसुनी रह गयी….
दिल के कुछ पन्नों पे किस्से लिख गयी….
आँखों में बसी वो मासूमियत कह गयी….
कुछ द्रश्यों पुराने से अपने जज़्बात कह गयी….
उस गली जिधर ना जाना कभी अब सुनसान ना रही….
कुछ बोली ना कभी कुछ आज हज़ार द्रश्य दिखा गयी….
अनजानों से डरता था जो दिल शायद अनजानापन भूल गया….
परायों को भी अपनी माया में अपना बना गया….
ज़िन्दगी का ये सफर सुहाना यादों की डोरी में बंध गया….
भूले ना भुलाये जाएं जो पल सारे एक पल में दिखा गया….
ना जाने क्या तमन्ना इस जीवन की….
हर कदम पर लेती इक अलग मोड़ है….
जो याद आये कभी उस मोड़ पे तो एक पल मन की नज़रें खोल याद करलेना….
उन नैनों की पलकों के नीचे…. हर पल.. हर समा.. हम सब का बसेरा रखलेना….

यारियाँ पुरानी !!!

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काश हम सब जहाँ हैं वहीं रुक जाते….काश ये वक़्त बस यहीन थम जाता….पर क्या करें इस जिंदगी का भी…आगे बढ़ती जाती है….और पीछे छूट जाती हैं कुछ यादें और कुछ लोग….और इन लोगों में सबसे प्यारे हमारे पुराने दोस्त….

हम सब के कुछ पुराने दोस्त होते हैं….जिन्हे हम बेहद चाहते हैं….पर ज़िंदगी हमें जुदा कर देती है…..ये चन्द पँतियाँ एसी ही कुछ अटूट यारियों के नाम….

यारियाँ पुरानी !!!

कई आते हैं , कई जाते हैं…..
कइयों को देख हम मंद मंद मुस्कुराते हैं….
कई हसाते हैं…. गुदगुदाते हैं….
तो कई आँखों में आंसू भी दे जाते हैं….

ये ज़िन्दगी की क्या माया है….. ना समझ सका ना कोई….
अनजानों से दोस्ती कराता है…
दोस्तों को अनजान कर जाता है….!!

बिछड़ भी गये हम तो क्या…. जन्मों जन्मों का नाता है…
भूले ना सकेंगे हम कभी… ये दिल हर दिन तेरी याद दिलाता है…

फिर मिलते हैं…. सालों दूर कही…
इक नज़र में पहचान जाते हैं…
बना लेते हैं फिर वहीं अपना वो पुराना बसेरा…..
चंद लम्हों में ही वो…. यादें ताज़ा कर जाते हैं…

कैंपस डायरी – PART 2

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एक आख़िरी झलक

इस्स भाग को पढ़ने से पहले कैंपस डाइयरी PART – 1 जरूर पढ़ें….. 🙂

” फिरसे देख लो एक बार तुम्हारा कुछ रह तो नही गया…? ” माँ की आवाज़ आई….जिस दिन का इंतज़ार किसी को नहीं होता उसको तो आना ही होता है…और हाँ मेरी ज़िंदगी का भी वो चरण आ खड़ा हुआ था…अब माँ को मैं क्या बताता….जो भी कुछ मेरा था वो सब तो रह ही जाने वाला है….आख़िर ज़िंदगी के उन हसीन 18 सालों को उस छोटे से बैग में कैसे समा पाता….रात को अब माँ सुलाने नही आएगी….रात को देर तक जागने पर पापा डाँटने भी नही आएँगे….हाँ रह तो मेरा बहुत कुछ रहा था…..पर अब मैं भी क्या करता…माँ के उस सवाल पे मैं उन्हे बस निहारते ही रह गया….!!!

चेतन की ज़िंदगी में भी वो समय आ चला था जब उसे भी अपनी ज़िंदगी की कहानी का एक नया अध्याय निखना था….कॉलेज की प्रवेश परीक्षा के परिणाम आ चुके थे और अब उसे भी बाकी हज़ारों लोगों की तरह ही अपनी ज़िंदगी की राह चुननी थी….

आप सब को भी कभी ना कभी अपनी ज़िंदगी में एसा निर्णय लेना ही पड़ा होगा तो आप भी समझ सकते हो की कितना मुश्किल होता है ये करना….जैसे की आपकी गाड़ी किसी चौराहे पे जाके अटक गयी हो और सामने दिख रहे चार रास्तों में से कोई एक ही चुनना हो….बस कुछ एसी ही दुविधा में डूबा हुआ था मैं भी…..

स्टेशन जाते हुए चेतन, कार की सीट पर गुम्सुम बैठा हुआ अपने उस प्यारे शहर की एक आख़िरी झलक ले रहा था….कभी पूरे घर में उधंग मचा देने वाला आज चुपचाप बैठा हुआ था….समय जो बदल चला था….आज वो अपनी ही दुनिया में कहीं खोया बाहर देखते हुए अपनी कुछ परानी यादें ताज़ा कर रहा था….हर एक जगह से जुड़ी एक बड़ी काहनी थी….हर किसी कोने में काई राज़ छुपे थे….हर जगह दिल में छुपे कुछ अनकहे किससे थे….

तभी एक छोटी सी पहाड़ी पे लिखा हुआ कुछ दिखाई दिया….वो देखा उसने बहुत बार था, पर शायद आज उसका मतलब उसके लिए कुछ और ही था….”HAPPY JOURNEY”…….अब ये JOURNEY HAPPY होगी या नही वो तो वक़्त ही बताएगा पर हाँ ये लंबी जरूर होने वाली थी…..!!!!

कैंपस डायरी

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Part 1 : – विचारों की धारा..!!!

बचपन में हम सब ने ये बहुत बार सुना होगा ना….कि बेटा बस अभी पढ़ लो बाद में तो ऐश ही ऐश हैं….ना जाने हमारे मम्मा पापा ने कितनी बार यही गुगली खेल कर हमें पढ़ने बिठाया होगा….और हम भी नादनों की तरह उनकी बातों में आ भी जाते थे….क्या करें…बचपन में तो हमें बड़ों की ज़िंदगी स्वाग वाली लगती थी…की कुछ भी करो कोई कुछ नही बोलने वाला…..आज ये बात सोचके थोड़ी हसी भी आती है….सच में मज़े तो बड़े कर रहे हैं हम….सोचा था ज़िंदगी के मज़े लेंगे…अब सब जानते कौन किसके मज़े ले रहा है…. 😀 😀

फिर भी कभी कभी मुझे जरूर लगता है कि ज़िंदगी आराम वाली बनी हो ना हो….पर मज़ेदार जरूर बन गयी है….बचपन में सबने अपने बड़े भाई बहनों से सुना होगा कि कॉलेज की कैंपस लाइफ काफ़ी गजब की होती है….बस यही सोचता हूँ की मेरी कैसी रहेगी…नाह अपनी तो अद्भुत ही रहेगी रे…

अरे पढ़ते पढ़ते सो गया क्या???… पीछे से मा की आवाज़ आई….पता लगा में यूँ ही सो गया था….अभी जेईई की परीक्षा हुई नही है और में कॉलेज के सपने भी देखने लग गया….बचपन से ही बहुत दूर की सोचता हूँ…क्या करें आदत जाती नही ना….

हम सब ही ज़िंदगी के कुछ ऐसे ही लम्हों को जी कर यहाँ पहुँचे हैं….इधर हमारा चेतन भी ज़िंदगी के उसी चरण से निकल रहा है….हो सकता उसकी ज़िंदगी से आप अपनी पुरानी यादें भी जुटा पायें….तो चलो आपको आपकी यादों की सैर करवाते हैं….

अगले भाग का इंतज़ार कीजिए…और तब तक अपनी कुछ पुरानी खट्टी मीठी यादें भी ताज़ा कर लीजिए….

तब तक के लिए आपसे विदा लेता हूँ…ज्ल्द ही वापस लौटूँगा….तब तक के लिए अलविदा,खुदा हाफ़िज़,सयोनारा,फिर मिलेंगे चलते चलते… 🙂

बैठे बैठे यूँ ही…!!!

ये हम इंसानों की फ़ितरत ही होती है की हम अपने खाली समय में बैठे हुए पता ही नहीं क्यूँ इधर उधर की बातें सोचने लगते हैं…….
और क्यी बार एसे सोचते हुए ही हमें एसी चीज़ें पता चलती हैं जो हमारी आगे की पूरी ज़िंदगी भी बदल देती हैं….
मैं ये नही मानता की कुछ गलत करना गलत होता है…काई बार कुछ करना ही सबसे बड़ी चीज़ होती है….अब वो चीज़ सही थी या नहीं वो तो बादमें पता चलेगा…..अगर कुछ किया ही नही तो क्या सही और क्या गलत……इसलिए मेरे दोस्तों…..ज़िंदगी तुम्हे जो भी मौके दे उनको पूरी तरह जीना….क्या पता ज़िंदगी के कोन्से मोड़ पे तुम्हे अपनी सब्से बड़ी खुशी और जीने की वजह मिल जाए…..!!!!

बैठे बैठे यूँ ही…!!!

 

बैठे बैठे यूँ ही….मन में इक ख़याल आया…..
क्या कर रहा हूँ जीवन् में…इस्पर एक विचार आया….
खिड़की से बाहर देखूं तो एक भागती हुई दुनिया है….
अपनी अपनी राहों पे सब भटके हुए मुसाफिर हैं…..
इसी डर से हम तो कायरों की तरह बैठे रहे….
राहें तो अनेक थी पर किसी पे भी चल ना सके……
पर आज मन में एक एहसास हुआ….
कुछ कर गुज़रने का आभास हुआ….
भटके भी तो क्या हुआ हर राह कहीं पहुँचती है…..
किस्मत से हमारी यारी है….हर मंज़िल हमे प्यारी है….

 

चलो आप सब मज़े कीजिए….जल्द ही वापस आउन्ग….तब तक के लिए….अलविदा….खुदा हाफिज़….सायोनारा….फिर मिलेंगे चलते चलते…. 🙂

लेखक : चैतन्य भोजवानी

इक बंदी दीवानी सी…!!!!

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मुझे ये लगता है की जो भावनाऐँ मैं आज व्यक्त करने आया हूँ वो हर किसी ने कभी ना कभी तो महसूस की ही होंगी……और क्यी लोगों ने एक से ज़्यादा बार भी किए होंगी……अब क्या कर सकते हैं….कुछ लोग होते ही इतने दिलफैंक हैं की बस उनका दिल कहीं भी और कभी भी फिसल जाता है……जी हाँ….मैं बात कर रहा हूँ पहली नज़र वाले प्यार की….

हाँ एसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ था कभी…..तो आज मैं अपनी इक शायरी के ज़रिए से अपने और अपने उन दोस्तों के दिल की बात बताना चाहूँगा जो कभी अनकही रह गयी थी…

 

इक बंदी दीवानी सी…!!!!

 

इक बंदी थी दीवानी सी…
थोड़ी पगली सी….मस्तानी सी…

उसकी अलग थी चाल थोड़ी…
उसकी अलग थी पहचान थोड़ी…

नैनों में कुछ सपने लिए…..वो चलती अपनी ही दुनिया में…

जब उससे मिलने का आलम हुआ…
उसकी अदाओं का मैं कायल हुआ…

होटो पे एक कातिल मुस्कान दे गयी…
इन कानों को वो कुछ मीठे अल्फ़ाज़ सुना गयी…

वो तो चलती गयी अपनी ही दुनिया में पर…
हाये ये लड़की क्या कर गयी…
जो जान मुझे थी बड़ी प्यारी….
वो किसी और को प्यारी हो गयी…

लेखक : चैतन्य भोजवानी

कुछ खो गया है!!

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ये समय भी कैसा आ गया है ना….चीज़ें जितनी छोटी होती जा रही हैं….इंसान के लिए उनकी महत्वता उतनी ही बढ़ती जा रही है…
छोटा सा हमारा फोन हो या फिर हमारी रोलेक्स की घड़ी….बस एक बार कहीं गुम जाए…..जब तक मिलता नहीं जान में जान नही आती…और अगर किसी और को मिल जाए तो बस…सोने पे सुहागा…

पर पता नही क्यूँ ये छोटी छोटी चीज़ों के पीछे भागते हुए इंसान एक बोहोत बड़ी चीज़ पीछे भूल आया है….प्यार और इंसानियत…..बचपन में तो सबके पास होती है….शायद ये भी कभी कहीं दिल के किसी कोने में खो गयी होगी और आज तक मिली नहीं…..पर क्या वो चीज़ इतनी ज़रूरी नहीं थी जो किसी ने भी उसे ढूँढ निकालने के लिए समय नहीं निकाला….

मैं पहला नहीं हूँ जिसके जहम में ये बात आई होगी….पर अब समय आ गया है की अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकालके हम अपने उस्स खोए अपने प्यार को फिरसे ढूँढे….क्योंकि ये ज़िंदगी उसी पे टिकी है…वरना बादमें हम वही अपने छोटे फोन ढूँढते रहेंगे पर उससे बात करने के लिए कोई भी नही बचेगा…

आज भी एसे कयी लोग हैं जो केवल प्यार के लिए जीते हैं….ये सोचके की उनको देखके ही शायद कुछ और लोगों को अपनी खोई चीज़ें मिल जाएँ….उम्‍मीद करता हूँ एसे लोगों कि कोशिशें जल्द ही रंग ज्‍रूर लायेंगी…

चलो तब तक के लिए उन सबको ढूँढने देते हैं…और हम चलते हैं….जल्द ही मिलेंगे…

तब तक के लिए….अलविदा….खुदाहाफ़िज़….सायोनारा….फिर मिलेंगे चलते चलते….. 🙂

लेखक : Chaitanya Bhojwani

कुछ खट्टी कुछ मीठी बातें..!!

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ज़िंदगी भी क्या गजब़ है ना….पल पल में इतनी बदल जाती है की कुछ चीज़ें बस याद बनके ही रह जाती हैं……..
और फिर कुछ समय बाद हम भी इसी तेज़ी के साथ आगे बढ़ जाते हैं और वो यादें धुंधली और धुंधली होती जाती हैं…..

बस इन्हीं कुछ खट्टी मीठी यादों को बटोरने के लिए लोग अलग अलग चीज़ें करते हैं…..
कोई इन यादों को अपने केमरे में भरने में व्यस्त है….तो कोई अपनी इन्ही यादों को अमर बनाने के लिए इंपे कहानी और कविताएँ लिख देते है….

बस तरीका ही तो अलग है…काम तो सब वही करते हैं……

ये तरीके बहुत पहले से चले आ रहे हैं….तभी तो कबीर और रहीम के ज़िंदगी के किससे हम आज तक पढ़ रहे हैं…और क्या पता शायद आने वाले समय में लोग हमारी पढ़ें …..

बोलते हैं की जिससे दिल को खुशी मिले वो करते रहना चाहिए…..क्या पता कल एसा समय आ जाए की खुशी के एकमात्र सहारा ही यही बन जाएँ….

आने वाले कुछ पदों में मैं अपनी ज़िंदगी के कुछ एसे ही हसीन किससे आपके साथ अपनी सवैयं लिखित शायरी के मध्यम से व्यक्त करने का प्रयत्न करूँगा…..पढ़िएगा ज़रूर…

तब तक के लिए…..अलविदा….खुदाहफिज़….सायोनारा….फिर मिलेंगे चलते चलते… 🙂

लेखक :  Chaitanya Bhojwani